दिमाग तक पहुंच सकता है 'ब्लैक फंगस', कैंसर की तरह गला रहा हड्डियां को; लखनऊ और वाराणसी में भी मिले मरीज
By: Pinki Mon, 10 May 2021 10:16:58
कोरोना वायरस की तरह 'ब्लैक फंगस' भी कोविड मरीजों पर हावी हो रहा हैं। 'ब्लैक फंगस' उन मरीजों को जो पहले से हाई ब्लड प्रेशर या मधुमेह से पीड़ित अपना शिकार बना रहा है। ब्लैक फंगस (म्युकर माइकोसिस) तो कैंसर की तरह मरीजों की हड्डियां तक गला रहा है। यह अपने आसपास की कोशिकाएं भी नष्ट कर सकता है। केजीएमयू के संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ डी हिमांशु ने बताया कि म्युकर माइकोसिस फंगस असल में हवा में होता है, जो लकड़ी वगैरह से निकलता है। डॉ हिमांशु ने बताया कि सामान्य लोगों की इम्युनिटी सही होती है, जबकि कोविड मरीजों की इम्युनिटी काफी कमजोर हो जाती है। ऐसे में यह फंगस उनके शरीर के किसी भी हिस्से में बढ़ने लगता है। गंभीर संक्रमित बढ़ने से फंगस के मरीज भी बढ़ रहे हैं।
डॉ हिमांशु ने बताया कि ब्लैक फंगस शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। ज्यादातर यह नाक कान, गले और फेफड़ों में पाया जाता है। फेफड़े में यह गांठ के रूप में विकसित होता है। इससे निपटने के लिए शुरुआत में एंटीफंगल दवाएं दी जाती हैं। इसके बाद भी नियंत्रित न होने पर ऑपरेशन कर गांठ निकाली जाती है। यह फंगस दिमाग तक फंगस पहुंच सकता है। ऐसे स्थिति में मरीज की हालत गंभीर हो जाती है।
पोस्ट कोविड मरीज भी हो रहे शिकार
डॉ हिमांशु ने बताया कि पहले ब्लैक फंगस पोस्ट कोविड मरीजों में ज्यादा मिलता था, लेकिन अब कोविड संक्रमितों में वायरस के साथ यह फंगस भी मिल रहा है। फिलहाल केजीएमयू में ऐसे दो मरीज भर्ती हैं। दोनों मामलों में एमआरआई करवाने पर फंगस का पता चला।
वाराणसी में मिली पहली मरीज, आंख में हुआ संक्रमण
ब्लैक फंगस से महाराष्ट्र में कई मौतें हो चुकी हैं। अब लखनऊ में भी इसके मरीज मिलने लगे हैं। लखनऊ के अलावा वाराणसी में भी ब्लैक फंगस या म्यूकर माइकोसिस की एक महिला मरीज मिली है। देश के बड़े शहरों के बाद अब वाराणसी में इस बीमारी के रोगी सामने आने से प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग अलर्ट हो गया है।
ब्लैक फंगस की पहली शिकार तनिमा मित्रा (58) कोविड संक्रमित थीं। कोविड की रिपोर्ट नेगेटिव आने के दो दिन पहले तनिमा मित्रा की एक आंख लाल होने लगी। इसे कंजेक्टिवाइटिस मानकर उपचार के बाद भी स्थिति में सुधार न होने पर चिकित्सकों को शक हुआ। जांच में पता चला कि संक्रमण ब्लैक फंगस है।
शहर के संतुष्टि हॉस्पिटल में भर्ती तनिमा मित्रा का इलाज करने वाली आई स्पेशलिस्ट डॉ नेहा शर्मा ने बताया कि बाई आंख से शुरू हुआ संक्रमण दाई आंख में भी होने से स्थिति गंभीर है। तनिमा का सोमवार को ऑपरेशन होगा, बशर्ते सभी परिस्थितियां अनुकूल हों।
जरूरत से ज्यादा स्टेरॉयड के इस्तेमाल से फंगस का खतरा
नेत्र विशेषज्ञों के मुताबिक म्यूकर माइकोसिस या ब्लैक फंगस बीमारी कोविड संक्रमित लोगों का उपचार होने के बाद सामने आ रही है। खासातौर पर उन मरीजों को जो पहले से हाई ब्लड प्रेशर या मधुमेह से पीड़ित हैं। अनियंत्रित मधुमेह की बीमारी वाले लोगों के कोरोना संक्रमित होने पर जरूरत से ज्यादा स्टेरॉयड के इस्तेमाल से 'ब्लैक फंगस' का खतरा बढ़ जाता है।
यह फंगल इन्फेक्शन नाक और आंख के जरिए शरीर में प्रवेश करता है। आंख के नीचे फंगस जमा होने से सेंट्रल रेटिंग आर्टरी में ब्लड का फ्लो बंद हो जाता है। आंखों में इंफेक्शन के बाद यह एक-दो दिन में फंगल इन्फेक्शन ब्रेन तक पहुंच जाता है। तब आंख निकालना मजबूरी होती है। यदि आंख निकालने में देरी की जाए तो मरीज को बचाना मुश्किल हो जाता है।
गुजरात के अस्पतालों में विशेष वार्ड की स्थापना
गुजरात सरकार ने 'ब्लैक फंगस' से संक्रमित मरीजों के लिए अस्पतालों में अलग वार्ड स्थापित करना शुरू कर दिया है और इसके उपचार में इस्तेमाल होने वाली दवा एम्फोटेरिसिन बी 50 मिलीग्राम इंजेक्शन की 5,000 शीशियों की खरीद की है।
गुजरात में म्यूकरमाइकोसिस के अब तक 100 से अधिक मामले सामने आए हैं। राज्य सरकार के अनुसार, वर्तमान में अहमदाबाद सिविल अस्पताल में 19 रोगियों का इसके लिए इलाज किया जा रहा है।
राज्य सरकार के अनुसार ऐसे मरीजों के इलाज के लिए अहमदाबाद सिविल अस्पताल में 60 बिस्तर वाले दो अलग समर्पित वार्ड स्थापित किए गए हैं। गुजरात के मुख्यमंत्री मंत्री विजय रूपाणी की अध्यक्षता में कोविड-19 स्थिति पर कोर समिति की एक बैठक के बाद सरकार की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया कि वडोदरा, सूरत, राजकोट, भावनगर, जामनगर और अन्य स्थानों पर भी इसी तरह की सुविधाएं सरकारी अस्पतालों में स्थापित की जाएंगी।
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